आँखों से कीमती कोई रत्न नहीं है
आँखों से कीमती कोई रत्न नहीं है। अतः इस से बढ़ा कोई दूसरा दान नहीं है। मरने के बाद जो हमारा नहीं होना उसे दान देने में क्या हर्ज।
आँखों से कीमती कोई रत्न नहीं है। अतः इस से बढ़ा कोई दूसरा दान नहीं है। मरने के बाद जो हमारा नहीं होना उसे दान देने में क्या हर्ज।
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