जीवन की भाग दौड़ में क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है
जीवन की भाग-दौड़ में क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है, हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है,हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है
जीवन की भाग-दौड़ में क्यूँ वक़्त के साथ रंगत खो जाती है, हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है,हँसती-खेलती ज़िन्दगी भी आम हो जाती है
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