विस्तार को न देख सार को देखने वा स्वयं में समाने वाले ही तीव्र पुरूषार्थी हैं

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विस्तार को न देख सार को देखने वा स्वयं में समाने वाले ही तीव्र पुरूषार्थी हैं।

Category: Brahma Kumaris Slogans

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