सेवा से जो दुआयें मिलती हैं
सेवा से जो दुआयें मिलती हैं वह दुआयें ही तन्दरूस्ती का आधार हैं।
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय का मुख्यालय माउंट आबू, राजस्थान में स्थित है| इस संस्था की स्थापना दादा लेखराज ने 1930 में की | यह एक अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी आध्यात्मिक संगठन है जिसकी विश्व के 137 देशों में 8500 से अधिक शाखाएँ हैं जिनमे 10 लाख विद्यार्थी प्रतिदिन नैतिक और आध्यात्मिक शिक्षा ग्रहण करते हैं।
सेवा से जो दुआयें मिलती हैं वह दुआयें ही तन्दरूस्ती का आधार हैं।
पहले सोचना फिर करना-यही ज्ञानी तू आत्मा का गुण है।
जहाँ उमंग-उत्साह और एकमत का संगठन है, वहाँ सफलता समाई हुई है।
सर्व शक्तिमान् बाप को प्रत्यक्ष करने के लिए एकाग्रता की शक्ति को बढ़ाओ
ब्राह्मण वह है जो शुद्धि और विधि पूर्वक हर कार्य करे।
सम्बन्ध सम्पर्क और स्थिति में लाइट बनो, दिनचर्या में नहीं
मधुरता का गुण ही ब्राह्मण जीवन की महानता है, इसलिए मधुर बनो और मधुर बनाओ।
पवित्रता का प्रैक्टिकल स्वरूप सत्यता अर्थात् दिव्यता है।
अपने सत्य स्वरूप की स्मृति हो तो सत्यता की शक्ति आ जायेगी।
अपने सुख शान्ति के वायब्रेशन से लोगों को सुख चैन की अनुभूति कराना ही सच्ची सेवा है।
रूहानियत का अर्थ है-नयनों में पवित्रता की झलक और मुख पर पवित्रता की मुस्कराहट हो।
सोचना-बोलना और करना तीनों को एक समान बनाओ-तब कहेंगे सर्वोत्तम पुरूषार्थी।
एक दो को देखने के बजाए स्वयं को देखो और परिवर्तन करो।
सत्यता की स्व-स्थिति परिस्थितियों में भी सम्पूर्ण बना देगी।
सत्यवादी वह है जिसके चेहरे और चलन में दिव्यता हो।
बाप को जानकर दिल से बाबा कहना यह सबसे बड़ी विशेषता है।