Brahma Kumaris Slogans

मन को शक्तिशाली बनाने के लिए आत्मा को ईश्वरीय स्मृति और शक्ति का भोजन दो

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मन को शक्तिशाली बनाने के लिए आत्मा को ईश्वरीय स्मृति और शक्ति का भोजन दो।

दृष्टि को अलौकिक मन को शीतल बुद्धि को रहमदिल और मुख को मधुर बनाओ

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दृष्टि को अलौकिक, मन को शीतल, बुद्धि को रहमदिल और मुख को मधुर बनाओ।

ह्मचर्य योग तथा दिव्यगुणों की धारणा ही वास्तविक पुरूषार्थ है

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ब्रह्मचर्य, योग तथा दिव्यगुणों की धारणा ही वास्तविक पुरूषार्थ है।

अपने विकारी स्वभाव संस्कार व कर्म को समर्पण कर देना ही समर्पित होना है

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अपने विकारी स्वभाव-संस्कार व कर्म को समर्पण कर देना ही समर्पित होना है।

होली हंस बन अवगुण रूपी कंकड़ को छोड़ अच्छाई रूपी मोती चुगते चलो

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होली हंस बन अवगुण रूपी कंकड़ को छोड़ अच्छाई रूपी मोती चुगते चलो।

समय और शक्ति व्यर्थ न जाए

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समय और शक्ति व्यर्थ न जाए इसके लिए पहले सोचो पीछे करो।

अपनी वृत्ति को श्रेष्ठ बनाओ

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अपनी वृत्ति को श्रेष्ठ बनाओ तो आपकी प्रवृत्ति स्वत:श्रेष्ठ हो जायेगी।

संकल्प द्वारा भी किसी को दु:ख न देना यही सम्पूर्ण अहिंसा है

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संकल्प द्वारा भी किसी को दु:ख न देना-यही सम्पूर्ण अहिंसा है।

हर आत्मा के प्रति सदा उपकार अर्थात् शुभ कामना रखो

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हर आत्मा के प्रति सदा उपकार अर्थात् शुभ कामना रखो तो स्वत:दुआयें प्राप्त होंगी।

सर्व बन्धनों से मुक्त होने के लिए दैहिक नातों से नष्टोमोहा बनो

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सर्व बन्धनों से मुक्त होने के लिए दैहिक नातों से नष्टोमोहा बनो।

जानकार बनो तो समस्यायें भी मनोरंजन का खेल अनुभव होंगी

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जानकार बनो तो समस्यायें भी मनोरंजन का खेल अनुभव होंगी।

रूह को जब जहाँ और जैसे चाहो स्थित कर लो यही रूहानी ड्रिल है

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रूह को जब, जहाँ और जैसे चाहो स्थित कर लो-यही रूहानी ड्रिल है।

आपके बोल ऐसे समर्थ हों जिसमें शुभ व श्रेष्ठ भावना समाई हुई हो

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आपके बोल ऐसे समर्थ हों जिसमें शुभ व श्रेष्ठ भावना समाई हुई हो।

जैसे आवाज में आना सहज लगता है

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जैसे आवाज में आना सहज लगता है वैसे आवाज से परे जाना भी सहज हो।

प्रभु प्रिय लोक प्रिय और स्वयं प्रिय बनने के लिए सन्तुष्टता का गुण धारण करो

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प्रभु प्रिय, लोक प्रिय और स्वयं प्रिय बनने के लिए सन्तुष्टता का गुण धारण करो।

इस संसार को एक अलौकिक खेल और परिस्थितियों को खिलौना मानकर चलो

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इस संसार को एक अलौकिक खेल और परिस्थितियों को खिलौना मानकर चलो तो कभी निराश नहीं होंगे।

सर्वस्व त्यागी बनने से ही सरलता व सहनशीलता का गुण आयेगा

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सर्वस्व त्यागी बनने से ही सरलता व सहनशीलता का गुण आयेगा।

सर्व के सहयोगी बनो तो स्नेह स्वत: प्राप्त होता रहेगा

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सर्व के सहयोगी बनो तो स्नेह स्वत: प्राप्त होता रहेगा।

एक भी कमजोरी अनेक विशेषताओं को समाप्त कर देती है

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एक भी कमजोरी अनेक विशेषताओं को समाप्त कर देती है इसलिए कमजोरियों को तलाक दो।

एक दो के विचारों को रिगार्ड दो

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एक दो के विचारों को रिगार्ड दो तो स्वयं का रिकार्ड अच्छा बन जायेगा।