स्व परिवर्तन द्वारा विश्व परिवर्तन का वायब्रेशन तीव्रगति से फैलाओ
स्व परिवर्तन द्वारा विश्व परिवर्तन का वायब्रेशन तीव्रगति से फैलाओ।
स्व परिवर्तन द्वारा विश्व परिवर्तन का वायब्रेशन तीव्रगति से फैलाओ।
मेरे पन के अनेक रिश्तों को समाप्त करना ही फरिश्ता बनना है।
विदेहीपन का अभ्यास करो – यही अभ्यास अचानक के पेपर में पास करायेगा।
संकल्प, श्वांस, समय, सम्पत्ति सब सफल करो तो सफलता जन्म सिद्ध अधिकार है।
जब बोल में स्नेह और सयंम हो तब वाणी की ऊर्जा जमा होगी।
स्नेह के स्वरूप को साकार में इमर्ज कर ब्रह्मा बाप समान बनो।
ज्ञान रत्नों से, गुणों और शक्तियों से खेलो, मिट्टी से नहीं।
ज्ञान घृत और योग की बत्ती ठीक हो तो खुशी का दीपक जगता रहेगा।
सरल याद के लिए सरलता का गुण धारण करो, संस्कारों को सरल बनाओ।
अपने बुद्धि की लाइन सदा स्वच्छ रखो तो एक दो के मन के भावों को जान लेंगे।
हर संकल्प, वाणी और कर्म में रूहानियत धारण करो तब सर्विस में रौनक आयेगी।
बापदादा की मिली हुई शिक्षायें समय पर याद आना ही तीव्र पुरूषार्थ है।
वैराग्य ऐसी योग्य धरनी है जिसमें जो भी फल डालेंगे वह फलीभूत अवश्य होगा।
सेवा व सम्बन्ध-सम्पर्क में विघ्न पड़ने का कारण है पुराने संस्कार, उन संस्कारों से वैराग्य हो।
ब्राह्मण जीवन का श्वांस खुशी है, शरीर भल चला जाए लेकिन खुशी न जाए।
समय वा परिस्थिति प्रमाण वैराग्य आया तो यह भी अल्पकाल का वैराग्य है, सदाकाल के वैरागी बनो।
सेवा के उमंग-उत्साह के साथ, बेहद की वैराग्य वृत्ति ही सफलता का आधार है।
व्यर्थ बोलना अर्थात् अनेकों को परेशान करना।