अपने श्रेष्ठ जीवन के प्रत्यक्ष प्रमाण द्वारा बाप को प्रत्यक्ष करो
अपने श्रेष्ठ जीवन के प्रत्यक्ष प्रमाण द्वारा बाप को प्रत्यक्ष करो
अपने श्रेष्ठ जीवन के प्रत्यक्ष प्रमाण द्वारा बाप को प्रत्यक्ष करो
किसी व्यक्ति, वस्तु व वैभव के प्रति आकर्षित होना ही साथी बाप को संकल्प से तलाक देना है
वृत्ति द्वारा वायुमण्डल को शक्तिशाली बनाना यही पुरूषार्थ व सेवा है
अपने संकल्पों को भी अर्पण कर दो तो सर्व कमजोरियां स्वत दूर हो जायेंगी
मनन करने से जो खुशी रूपी मक्खन निकलता है वही जीवन को शक्तिशाली बनाता है
मान के त्याग में सर्व के माननीय बनने का भाग्य समाया हुआ है
सदा एक बाप के श्रेष्ठ संग में रहो तो और किसी के संग का रंग प्रभाव नहीं डाल सकता
ज्ञान का सिमरण करना ही सदा हर्षित रहने का आधार है
बातों का पर्दा बीच में आने न दो तो बाप के साथ का अनुभव होता रहेगा
आपका उच्चारण और आचरण ब्रह्मा बाप के समान हो तब कहेंगे सच्चे ब्राह्मण
जहाँ ब्राह्मणों के तन-मन-धन का सहयोग है वहाँ सफलता साथ है
आज्ञाकारी बच्चे ही दुआओं के पात्र हैं, दुआओं का प्रभाव दिल को सदा सन्तुष्ट रखता है
कारण सुनाने के बजाए उसका निवारण करो तो दुआओं के अधिकारी बन जायेंगे
साक्षीपन की स्थिति ही यथार्थ निर्णय का तख्त है
सर्वंश त्यागी वह है जो पुराने स्वभाव संस्कार के वंश का भी त्याग करता है
त्याग का भाग्य समाप्त करने वाला पुराना स्वभाव-संस्कार है, इसलिए इसका भी त्याग करो
जोश में आना भी मन का रोना है – अब रोने का फाइल खत्म करो
जो सदा योगयुक्त हैं वो सहयोग का अनुभव करते विजयी बन जाते हैं
सेवा में सदा जी हाजिर करना-यही प्यार का सच्चा सबूत है