Brahma Kumaris Slogans

स्वउन्नति करनी है

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स्वउन्नति करनी है तो क्वेश्चन, करेक्शन और कोटेशन का त्याग कर अपना कनेक्शन ठीक रखो।

बेहद के वैरागी बनो

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बेहद के वैरागी बनो तो आकर्षण के सब संस्कार सहज ही खत्म हो जायेंगे।

अशुद्धि ही विकार रूपी भूतों का आवाह्न करती है

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अशुद्धि ही विकार रूपी भूतों का आवाह्न करती है इसलिए संकल्पों से भी शुद्ध बनो।

बाप के हर फरमान पर स्वयं को कुर्बान करने वाले सच्चे परवाने बनो

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बाप के हर फरमान पर स्वयं को कुर्बान करने वाले सच्चे परवाने बनो।

सिद्धि को स्वीकार कर लेना अर्थात् भविष्य प्रालब्ध को यहाँ ही समाप्त कर देना

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सिद्धि को स्वीकार कर लेना अर्थात् भविष्य प्रालब्ध को यहाँ ही समाप्त कर देना।

जब कहाँ भी आसक्ति न हो तब शक्ति स्वरूप प्रत्यक्ष हो

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जब कहाँ भी आसक्ति न हो तब शक्ति स्वरूप प्रत्यक्ष हो।

स्वयं को सम्पन्न बना लो

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स्वयं को सम्पन्न बना लो तो विशाल कार्य में स्वत: सहयोगी बन जायेंगे।

कर्मयोगी वही बन सकता है जो बुद्धि पर ध्यान का पहरा देता है

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कर्मयोगी वही बन सकता है जो बुद्धि पर ध्यान का पहरा देता है।

दिव्य बुद्धि ही साइलेन्स की शक्ति का आधार

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दिव्य बुद्धि ही साइलेन्स की शक्ति का आधार है।

जो सर्व शक्तियों रूपी किरणें चारों ओर फैलाते हैं वही मास्टर ज्ञान सूर्य हैं

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जो सर्व शक्तियों रूपी किरणें चारों ओर फैलाते हैं वही मास्टर ज्ञान सूर्य हैं।

योग्य बनना है तो कर्म और योग का संतुलन रखो

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योग्य बनना है तो कर्म और योग का संतुलन रखो।

समीप आने के लिए सोचना बोलना और करना समान बनाओ

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समीप आने के लिए सोचना-बोलना और करना समान बनाओ।

क्यों क्या के प्रश्नों को समाप्त कर सदा प्रसन्नचित रहो

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क्यों क्या के प्रश्नों को समाप्त कर सदा प्रसन्नचित रहो।

सदा हर्षित व आकर्षण मूर्त बनने के लिए सन्तुष्टमणी बनो

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सदा हर्षित व आकर्षण मूर्त बनने के लिए सन्तुष्टमणी बनो।

गुण मूर्त बनकर गुणों का दान देते चलो

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गुण मूर्त बनकर गुणों का दान देते चलो यही सबसे बड़ी सेवा है।

हर एक की विशेषता को देखते जाओ

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हर एक की विशेषता को देखते जाओ तो विशेष आत्मा बन जायेंगे।

दूसरों के विचारों को सम्मान दो

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दूसरों के विचारों को सम्मान दो तो आपको सम्मान स्वत:प्राप्त होगा।

सर्व का स्नेह प्राप्त करना है

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सर्व का स्नेह प्राप्त करना है तो मुख से सदा मीठे बोल बोलो।

ईश्वरीय सेवा में स्वयं को प्रस्ताव करो

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ईश्वरीय सेवा में स्वयं को प्रस्ताव करो तो आफरीन मिलती रहेगी।

निर्भयता और नम्रता

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निर्भयता और नम्रता ही योगी व ज्ञानी आत्मा का स्वरूप है।