स्वउन्नति करनी है
स्वउन्नति करनी है तो क्वेश्चन, करेक्शन और कोटेशन का त्याग कर अपना कनेक्शन ठीक रखो।
स्वउन्नति करनी है तो क्वेश्चन, करेक्शन और कोटेशन का त्याग कर अपना कनेक्शन ठीक रखो।
बेहद के वैरागी बनो तो आकर्षण के सब संस्कार सहज ही खत्म हो जायेंगे।
अशुद्धि ही विकार रूपी भूतों का आवाह्न करती है इसलिए संकल्पों से भी शुद्ध बनो।
बाप के हर फरमान पर स्वयं को कुर्बान करने वाले सच्चे परवाने बनो।
सिद्धि को स्वीकार कर लेना अर्थात् भविष्य प्रालब्ध को यहाँ ही समाप्त कर देना।
जब कहाँ भी आसक्ति न हो तब शक्ति स्वरूप प्रत्यक्ष हो।
स्वयं को सम्पन्न बना लो तो विशाल कार्य में स्वत: सहयोगी बन जायेंगे।
कर्मयोगी वही बन सकता है जो बुद्धि पर ध्यान का पहरा देता है।
दिव्य बुद्धि ही साइलेन्स की शक्ति का आधार है।
जो सर्व शक्तियों रूपी किरणें चारों ओर फैलाते हैं वही मास्टर ज्ञान सूर्य हैं।
योग्य बनना है तो कर्म और योग का संतुलन रखो।
समीप आने के लिए सोचना-बोलना और करना समान बनाओ।
क्यों क्या के प्रश्नों को समाप्त कर सदा प्रसन्नचित रहो।
सदा हर्षित व आकर्षण मूर्त बनने के लिए सन्तुष्टमणी बनो।
गुण मूर्त बनकर गुणों का दान देते चलो यही सबसे बड़ी सेवा है।
हर एक की विशेषता को देखते जाओ तो विशेष आत्मा बन जायेंगे।
दूसरों के विचारों को सम्मान दो तो आपको सम्मान स्वत:प्राप्त होगा।
सर्व का स्नेह प्राप्त करना है तो मुख से सदा मीठे बोल बोलो।
ईश्वरीय सेवा में स्वयं को प्रस्ताव करो तो आफरीन मिलती रहेगी।