बराबरी का साथ निभाएं
बराबरी का साथ निभाएं, महिलएं अब आगे आएं.
क्यों नारी पर ही सब बंधन, वह मानवी! नहीं व्यक्तिगत धन.
मैं भी छू सकती हूं आकाश, मौके की है मुझे तलाश.
भेदभाव जुल्म मिटायेंगे, दुनिया नई बसायेंगे, नई है डगर, नई हैं सफ़र, अब हम नारी आगे ही बढ़ाते जायेंगे.
कभी बहु कभी माँ बनकर सबके ही सुख-दुख को सहकर अपने सब फर्ज़ निभाती है तभी तो नारी कहलाती है.
जब हैं नारी में शक्ति सारी, तो फिर क्यों नारी को कहे बेचारी.
जीवन की कला को अपने हाथो से साकार कर, नारी ने संस्कृति का रूप निखारा हैं,
नारी का अस्तित्व ही सुन्दर जीवन का आधार हैं.
नारी का जो करे अपमान, जाने उसे नर पशु समान.
जिमेदारी संग नारी भर रही है उड़ान, ना कोई शिकायत ना कोई थकान.
नारी सीता नारी काली नारी ही प्रेम करने वाली.
Naari Bhi Jeewit Insaan! Nahi Bhog Ki Woh Saamaan!!